मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति में प्रो एस पी सिंह की अध्यक्षता में विज्ञान एवं ललित कला संकाय के पीजीआरसी की बैठक में 141 शोध प्रारूप स्वीकृत

● शोध की गुणवत्ता के परिष्करण हेतु अंतर विषयक शोध को बढ़ावा देना तथा संबद्ध विषयों के साथ एमओयू हस्ताक्षरित करना जरूरी- कुलपति

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में विज्ञान एवं ललित कला संकाय के पीजीआरसी की बैठक विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित की गई, जिसमें कुल 141 शोध प्रारूपों को स्वीकृति दी गई। स्वीकृत शोध प्रारूपों में गणित में 42, भौतिक विज्ञान में 30, रसायन शास्त्र में 17, जन्तु विज्ञान में 17, वनस्पति विज्ञान में 6, बायोटेक्नोलॉजी में 5 सहित विज्ञान संकाय में कुल 117 तथा संगीत में 18 व नाटक में 6 सहित ललित कला संकाय में कुल 24 शोध प्रारूपों को स्वीकृति प्रदान की गई।


अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त किया कि दिनांक 16 नवंबर, 2022 को राजभवन में संपन्न उच्च स्तरीय बैठक में यह बात आयी है कि आज बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में केवल 2 विश्वविद्यालयों के सत्र नियमित पाए गए हैं, जिनमें मिथिला विश्वविद्यालय एक है। उन्होंने शोध की गुणवत्ता को परिष्कृत करने के उद्देश्य अंतर विषयक शोध को बढ़ावा देने पर बल दिया तथा इस दिशा में संबद्ध विषयों के साथ एएमयू हस्ताक्षरित करने का निर्देश दिया, ताकि शोध के अतिरिक्त नैक मूल्यांकन में भी मदद मिल सके।

कुलपति ने पुनः एक बार सभी विभागाध्यक्षों से विश्वविद्यालय के आरंभिक काल से अद्यतन हुए शोधों की समेकित सूची तैयार करने का निर्देश दिया। अंत में कुलपति ने कहा कि आज की गवेषणा परिषद् की बैठक में दो तरह के पुराने मामले विचारार्थ लाए गए हैं। इनमें एक मामले ऐसे हैं, जिनका शोध- कार्य ससमय पूर्ण हो गया, परंतु कार्यालयी शिथिलता के कारण उनके आगे की प्रक्रिया अब तक लंबित हैं। ऐसे मामलों को अग्रेतर कार्यवाही हेतु स्वीकृत किया जाए। दूसरे तरह के वे मामले हैं, जिनकी अधिकतम निर्धारित अवधि पूर्व में ही समाप्त हो चुकी है और और शोधार्थियों द्वारा ससमय किसी प्रकार की पहल नहीं की। ऐसे सभी मामले पीएच डी नियमावली के आलोक में स्वीकार योग्य नहीं हैं।
प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने विज्ञान संकाय में पहले से अधिक शोध प्रारूपों के जमा होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले समय में बायोटेक्नोलॉजी तथा नैनो साइंस के क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इस विषय में सह पर्यवेक्षक अथवा प्रयोगशाला के मामलों में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना, आईआईटी व एनआईटी, पटना से सहयोग लिया जा सकता है। उन्होंने नवनियुक्त शिक्षकों को शोध कार्य में दक्ष बनाने हेतु वरीय शिक्षकों से प्रोत्साहित करने की अपील की, ताकि भविष्य में विश्वविद्यालयी शोध की गुणवत्ता में और सुधार हो सके।

बैठक में विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो शिशिर कुमार वर्मा, ललित कला संकायाध्यक्ष प्रो लावण्य कीर्ति सिंह ‘काव्या’, परीक्षा नियंत्रक डा आनंद मोहन मिश्र व उप परीक्षा नियंत्रक डा नवीन कुमार सिंह, रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो प्रेम कुमार मिश्र, भौतिकी विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो अरुण कुमार सिंह, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो शहनाज जमील, गणित विभागाध्यक्ष डा एजाज अहमद, संगीत एवं नाट्य विभागाध्यक्ष प्रो पुष्पम नारायण सहित विभिन्न विषयों के प्राध्यापक तथा परीक्षा विभाग के कर्मी उपस्थित थे।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता के स्वागत एवं संचालन में आयोजित बैठक में धन्यवाद ज्ञापन परीक्षा नियंत्रक डा आनंद मोहन मिश्र ने किया।

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